NAITIK SHIKSHA KE LIYE DO LAGHUKATHA
एक बार एक घमंडी हाथी था जो हमेशा छोटे जानवरों को धमकाता था। वह अपने घर के पास के तालाब में जाता और चींटियों पर पानी छिड़कता। चींटियाँ, रोने के अलावा कुछ नहीं कर सकती थीं। हाथी बस हँसता और चींटियों को धमकी देता कि वह उन्हें कुचल कर मार डालेगा। एक दिन,चीटियों ने हाथी को सबक सिखाने का फैसला किया। वे सीधे हाथी की सूंड में जा घुसे और उसे काटने लगे। हाथी केवल दर्द में कराह सकता था। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने चींटियों और उन सभी जानवरों से माफी मांगी जिन्हें उसने धमकाया था। हमें इस कहानी से सिख मिलती है की विनम्र बनो और सभी के साथ दया का व्यवहार करो। अगर आपको लगता है कि आप दूसरों से ज्यादा मजबूत हैं, तो अपनी ताकत का इस्तेमाल उन्हें नुकसान पहुंचाने के बजाय उनकी रक्षा के लिए करें। YOU MAY LIKE
एक बार एक कुत्ता भोजन की तलाश में रात-दिन सड़कों पर भटकता रहा। उसे एक बड़ी रसीली हड्डी मिली और उसने तुरंत उसे अपने मुंह में पकड़ लिया और घर जाने लगा। घर के रास्ते में, उसने एक नदी पार करनी थी उसने एक और कुत्ते को देखा जिसके मुंह में एक हड्डी थी। वह उस हड्डी को अपने लिए भी चाहता था। लेकिन जैसे ही उसने अपना मुंह खोला, जिस हड्डी को वह काट रहा था, वह नदी में गिर गई और डूब गई। उस रात वह भूखा घर चला गया। इस कहानी से हमें सिख मिलती है की अगर हम हमेशा दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, तो हम लालची कुत्ते की तरह, जो हमारे पास पहले से है उसे खो देंगे।
डॉ एपीजी अब्दुल कलाम बनना चाहतेथे पायलट 1957 में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम परीक्षा में शामिल होने के लिए देहरादूनगये आठ उम्मीदवार का चयन करना था जब परिणाम घोषित किया गया वह नौवें स्थान पर था..डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पायलट बनने की दौड़ में हारे। थोड़ा निराश होकर अब्दुल कलाम ऋषिकेश गए उनका वहां गंगास्नान था,तथा सीधे शिवानंद आश्रमगएगए वहां उनकी मुलाकात एक संत से हुई ,संत ने उससे पूछा कि तुम थोड़ा उदास और तनावपूर्ण देख रहे हो और युवा डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा यह सब मेरे साथ हुआ संत ने डॉ एपी अब्दुल कलाम को बताया सोच उस भगवान के पासे तेरे लिए कुछ और हैअपने तनाव को भी संभालने में सक्षमसकारात्मक रहें, आशावादी बनेंअपने आप को अच्छे से संभालो,डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम दशकों बाद इस घटना के बारे में लिखते हैं कि मुझे मौका नहीं मिला एक हवाई जहाज़ उडाने के लियें लेकिन मैंने ऐसी चीजें बनाईं जो उड़ सकती थीं उससे भी तेज वह है मिसाइल और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल मैन बने इसलिए जब आप असफल हो जाते हैं आप गभराईऐ मत असफलता के बिना सफलता संभव नहीं होती।
शरीर में लाल कोशिकाओं की मात्रा कम हो तो सरगवा की फलियों का सेवन करना चाहिए। जो हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है। मस्तिष्क के रोग जैसे अल्जाइमर, पार्किंसन, सेंट्रल नर्वस सिस्टम और कई अन्य सामान्य समस्याएं जिनमें इसका सेवन फायदेमंद माना जाता है। दिमाग के रोगों को दूर करने में मदद करता है। यह अल्जाइमर के उन रोगियों को बेहतर बनाने में मदद करता है जिनकी याददाश्त कमजोर होती है।Disclaimer: This content, including advice, provides general information only. It is in no way a substitute for a qualified medical opinion. Always consult a specialist or your doctor for more details. this blog does not claim responsibility for this information.
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