THOMAS ALVA EDISON'S INVENTIONS AND THOUGHTS STORY IN HINDI.

 आज हम बात करेंगे महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन की।एडिसन का जन्म 17 फरवरी, 1847 को मिलान, ओहियो, अमेरिका में हुआ था, जो सैमुअल एडिसन और जॉन्सी मैथ्यूज के सातवें बेटे थे। एडिसन को सुनने की समस्या थी वह 4 साल की उम्र तक बोल नहीं पाते थे। थॉमस अल्वा एडिसन दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिक कैसे बने? उनके प्रसिद्ध आविष्कार क्या थे? थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब का आविष्कार कैसे किया ? एडिसन एक ऐसा छात्र था जिसे शुरुआती दिनों में उसके शिक्षकों ने एक सामान्य बालक  के रूप में चुना था। लेकिन बाद में वे अपनी कड़ी मेहनत के कारण दुनिया में प्रशंसित एक वैज्ञानिक के रूप में उभरे। 


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एडिसन जिस स्कूल में पढ़ते थे इस स्कूल के टीचर उससे तंग आ गए थे, क्योकि एडिसन उसे बारी बारी प्रश्न पूछता रहता था इस कारण टीचरों ने हेडमास्टर को फरियाद की हेडमास्टर ने एक चिठ्ठी लिखी और एडिसन को कहा की ये अपनी माँ को देना जब  एडिसन स्कूल से  घर लौटा एडिसन ने तब अपनी माँ को यह  कागज दिया जो शिक्षक ने उन्हें दिया था। एडिसन की मां ने जब देखा तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। उसने खुद को उठाया और पत्र पढ़ा "आपका बेटा एक प्रतिभाशाली है।  हमारा स्कूललोअर केटेगरी  का है , यह स्कूल उसके लिए सही जगह नहीं है, और उसे प्रशिक्षित करने के लिए कोई कुशल शिक्षक नहीं हैं। आप उसे तेजस्वी छात्रों वाली स्कूल में भर्ती करवाए । इसका मतलब है कि आपका बेटा एक प्रतिभाशाली है। यह उसके पढ़ने के लिए उपयुक्त जगह नहीं है, और उसे पढ़ाने के लिए यहाँ कोई सक्षम शिक्षक नहीं हैं।"




उसके बाद एडिसन ने स्कूल जाना बंद कर दिया। उनकी माँ ने उसे घर पर पढ़ने के लिए साइंस की बुक दी,उसने कहा यह पढ़ो और जो आपके मन में प्रश्न आये  वो मुझे  पूछो  मै  सोल्युशन दूंगी।  इस तरह सारी  किताबो में से वो ज्ञान बटोरने लगा और आगे बढ़ता गया,, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि एडिसनको महान बनने का पूरा कारण एडिसन की मां थी। उसकी माँ हमेशा एक ही बात कहती थी। "यदि आप अपनी गलतियों से सीखते हैं तो आप बुद्धिमान हैं। लेकिन अगर आप किसी की गलतियों से सीखते हैं, तो आप एक जीनियस हैं।" अर्थ, "कोई बुद्धिमान है यदि वह अपनी गलतियों से खुद को सुधारता है। जो दूसरों की गलतियों को सुधारता है वह एक प्रतिभाशाली है"।




 जब वे बारह वर्ष के थे, तब उन्होंने अपने परिवार की गरीबी के कारण रेलवे स्टेशन पर अख़बार विक्रेता के रूप में काम करना शुरू किया, अपने खाली समय में उन्होंने विभिन्न प्रयोगों में हाथ आजमाया।उनकी प्रयोगशाला ट्रेन के डिब्बे में थी। लेकिन एक बार केमिकल फर्श पर गिरने से ट्रैन के डिब्बे में आग लग गयी। गार्ड ने उसे इतना जोरदार थप्पड़ मारा की कान  में  इजा  होने से उसे कम सुनाने लगा और जिंदगी भर की बहराश आ गयी ,एडिसन ने कहा की अब मुझे  फालतु बाते  नहीं सुनाई देगी मै मेरा काम अच्छी  तरह से कर सकुंगा। 


  


बाद में उन्हें बोस्टन के एक ऑफिस में नौकरी मिल गई।मुख्य रूप से उन्हें संदेश लेने के लिए टेलीग्राफ मशीन पर बैठाया गया था, टेलीग्राफ मशीन पर उनके कौशल और संदेशों को लेने की गति को देखकर हर कोई चकित रह गए  वह लगातार साढ़े चार घंटे टेलीग्राफ मशीन पर बैठा रहा और संदेश लेता  गया।इतना ही नहीं, दूसरी तरफ टेलीग्राफ मशीन पर बैठे आदमी को एक बार भी एक भी अक्षर दोहराना नहीं पड़ा और न ही उसे अपना संदेश भेजने में धीमा करना पड़ा।।' वहाँ भी उन्होंने अपनी शोध प्रवृत्ति के कारण विश्राम नहीं किया।उन्होंने टेलीग्राफ में कई सुधार किए और  स्वयं संचालित  टेलीग्राम बनाया।  एडिसन के ग्रामोफोन के आविष्कार ने किसी भी ध्वनि को प्रिंट करना संभव बना दिया। इस खोज के महत्व को सभी संगीत प्रेमियों को बताने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने इस ग्रामोफोन में लगातार सुधार किया।काइनेटोस्कोप के उनके आविष्कार ने चलचित्रों को देखना संभव बना दिया। 







  थॉमस अल्वा एडिसन ने आधुनिक जीवन पर जबरदस्त प्रभाव डाला,  प्रकाश बल्ब, फोनोग्राफ और मोशन पिक्चर कैमरा जैसे आविष्कारों के साथ-साथ टेलीग्राफ में सुधार किया। अपने 84 वर्षों में, उन्होंने  आश्चर्यजनक 1,093 पेटेंट प्राप्त किए। एक आविष्कारक होने के अलावा, एडिसन एक सफल निर्माता और व्यवसायी बनने में भी कामयाब रहे, 



किसी भी आविष्कारक का असफल होना तय है। जो इससे सीखता है वह हासिल करता है।जो  एडिसन ने किया। यह सर्वविदित है कि एडिसन ने हजारों आविष्कार किए। लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं देखते कि वह कितनी बार ऐसा करने में असफल रहे हैं। उदाहरण के लिए, प्रकाश बल्ब का आविष्कार किया गया था, लेकिन एक बड़ी समस्या थी कि फिलामेंट को लंबे समय तक जलाने के लिए कौन सा पदार्थ उपयुक्त बनाया जाए।  उन्होंने विभिन्न सामग्रियों से बने बिजली के तार का हजारो  बार परीक्षण किया। फिर भी उन्होंने चैन नहीं लिया,   उन्होंने अंततः टंगस्टन फिलामेंट की खोज की और सारी   दुनिया में रोशनी उजागर की।





 10 दिसंबर, 1914 को न्यू जर्सी के वेस्ट ऑरेंज में एडिसन की सबसे बड़ी फैक्ट्री में आग लग गई। इस आग में 10 सबसे बड़ी फैक्ट्रियां शामिल थीं। उस समय, एडिसन चुपचाप किनारे पर बैठ गया और देखा कि उसका कारखाना आग की लपटों में जल रहा है।  उन्होंनेआग देख ने के लिए अपने बेटे को बुलाया  कहा कि वे फिर कभी ऐसी आग नहीं देख पाएंगे। हैरान उसके बेटे ने कहा, "पिताजी, हमारी पूरी फैक्ट्री में आग लगी है, आप यह कह रहे हैं"। एडिसन ने उत्तर दिया, “हां, हमारी फैक्ट्री अब जलकर राख हो रही है। साथ ही हमारी गलतियां राख में तब्दील हो रही हैं। हम कल फिर से शुरू करेंगे।" यह एडिसन है। यही कारण है कि वह दुनिया का सबसे बड़ा आविष्कारक बनने के लिए उठने में सक्षम था।









            कई साल बाद, एडिसन की मां के निधन के बाद, वह सदी के सबसे महान आविष्कारकों में से एक बन  गए। एक दिन वह पुरानी पारिवारिक चीजों को देख रहा था। अचानक उसने अपनी माँ की एक मेज पर दराज के कोने में एक कागज़ का पत्र देखा। उसने लिया और खोल दिया। कागज पर   वास्तव में  लिखा था, "स्कूल आपके बेटे को अब कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दे सकता, वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है। उसे बर्खास्त कर दिया गया है।" आपका बेटा एक मंदबुद्धि बालक है   इसका मतलब है कि आपके बच्चे का दिमागी विकास ठीक से नहीं हो रहा है और इसलिए उसे अब कक्षा में नहीं आने दिया जा सकता।  यह देख उसकी आंखों में आंसू आ गए। शायद अगर उसकी माँ ने उसे वैसे ही पढ़ा होता जैसे इस पत्र में है, तो एडिसन नाम के वैज्ञानिक को उसी समय लकवा मार गया होता। अगर हर बच्चे के पास ऐसी प्रेरणा देने वाली मां हो तो निश्चित ही कोई भी बच्चा जीनियस होता है।



इस घटना के बाद कई दिनों तक एडिसन सुनमुन रहे उसका मन कही नहीं लगा। उसकी स्कूल के  टीचर  प्रति धृणा हुई,और माँ की खूब याद आई और वो रडने लगे. . एडिसन ने अपनी डायरी में लिखा: "एक महान माँ ने एक मेन्टली विक बच्चे को सदी का एक ग्रेट सायंटिस्ट बना दिया " यही  होती है पॉज़िटिव  पेरेन्ट्स की रियल पावर। 
  


.जब माँ-बच्चे के रिश्ते की बात आती है, तो माँ न केवल देखभाल करने वाली होती है, बल्कि बच्चे की पहली शिक्षिका भी होती है। एडिसन की मां को  अपने बेटे की क्षमताओं में निरंतर विश्वास था  उन्हें बड़े होने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने में मदद की। एक माँ का प्यार सच्चा और मजबूत होता है, कुछ भी संभव है। इस घटना से हमें यही सबक सीखना चाहिए।जीनियस साइंटिस्ट थॉमस एडिसन के जीवन की इस कहानी से हमें पता चलेगा कि मां-बच्चे के रिश्ते का सहारा कितना जरूरी है।




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