DALAILAMA THE ART OF HAPPINESS BOOK SUMMARY IN HINDI
द आर्ट ऑफ हैप्पीनेस दलाई लामा और एक मनोचिकित्सक डॉ. हॉवर्ड सी. कटलर के सहयोग से तैयार की गयी है। द आ र्ट ऑफ़ हैप्पीनेस पुस्तक में दलाई लामा ने व्यस्त पश्चिमी व्यक्तियों को अपने जीवन में अधिक संतुलन और आध्यात्मिक स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद करने के लिए तिब्बती बौद्ध सिद्धांतों का उपयोग करना शिखाया है और मानवीय अनुभव के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, द आर्ट ऑफ़ हैप्पीनेस पुस्तक में शिखाया गया है की दैनिक समस्याओं को कैसे हल किया जाए और चुनौतीपूर्ण समय के दौरान कैसे शांत रह सकते हैं। ताकि आप एक खुशहाल जीवन जी सकें।दलाई लामा के सहयोग से तैयार की गयी द आर्ट ऑफ़ लिविंग बुक का कुछ सारांश हिंदी में इस लेख में लिखा गया है।
दलाई लामा कहते है की हमारे जीवन का उद्देश्य सकारात्मक होना चाहिए। हम परेशानी पैदा करने, दूसरों को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से पैदा नहीं हुए हैं। हमारे जीवन के मूल्य के लिए हमें अच्छे मानवीय गुणों ,दया, करुणा का विकास करना चाहिए। तब हमारा जीवन सार्थक और अधिक शांतिपूर्ण-सुखमय हो जाता है। दलाई लामा का सुझाव है कि हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि दुख और परिवर्तन दोनों स्वाभाविक हैं। दोनों के आने पर हम जितनी कम चिंता करते हैं, दुख उतना ही कम होता है।
दलाई लामा द आर्ट ऑफ़ हैप्पीनेस पुस्तक में कहते है की आपके शत्रुओं की नाखुशी आपको दीर्घकालिक सुख बनाए रखने में मदद नहीं करेगी। बौद्ध अपना काफी समय उन व्यक्तियों पर ध्यान देने में व्यतीत करते हैं ,जिन्हें वे आवश्यक रूप से पसंद नहीं करते है । वे इस समय को इन भावनाओं से लड़ने में बिताते हैं, क्योंकि घृणा खुशी के लिए एक बाधा है। इसलिए, जब आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जिसे आप पसंद नहीं करते हैं, तो दलाई लामा धैर्य और सहनशीलता का अभ्यास करने की सलाह देते हैं। साथ ही, आपको उन पलों के लिए आभारी होना चाहिए जब आप आपके दुश्मनों के साथ थे । ये क्षण हैं जब आप प्रभावी ढंग से धैर्य का अभ्यास कर सकते हैं।
दलाई लामा कहते है की अगर आप दूसरों को प्रसन्न रखना चाहते हैं, तो दया भाव दिखाए। यदि आप खुश रहना चाहते हैं तो करूणा को अपनाएं,दुख जीवन का हिस्सा है। यह स्वाभाविक है और ऐसा कुछ जिसे आप हमेशा टाल नहीं सकते। दिलचस्प बात यह है कि पूर्वी संस्कृतियां पश्चिमी लोगों की तुलना में पीड़ा को अधिक स्वीकार कर रही हैं।दलाई लामा का कहना है की पश्चिमी लोग पीड़ित होते हैं तो वे लोग खुद को पीड़ित के रूप में देखते हैं। इसके विपरीत, पूर्वी लोग स्वीकार करते हैं कि जब तक वे जीवित हैं तब तक दुख जीवन का हिस्सा रहेगा दलाई लामा का सुझाव है कि हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि दुख और परिवर्तन दोनों स्वाभाविक हैं। दोनों के आने पर हम जितनी कम चिंता करते हैं, दुख उतना ही कम होता है।
हम कई बार कहते हैं कि मुझे गुस्सा नहीं आया लेकिन आ गया। क्या गलत है। ऑफिस में हम अपने बड़ों के सामने गुस्सा नहीं कर पाते हैं लेकिन घर में हम आसानी से गुस्सा हो जाते हैं या बिना वजह अपने बच्चों पर जोर-जोर से बोलते हैं। सच्चा क्रोध यदि अपने आप आता है तो वह दोनों स्थानों पर समान रूप से आता है। पर वह नहीं हुआ। यानी क्रोध नहीं लाया जाता। क्रोध के इस विकार से दूर रहें, यह आपको और आपके प्रियजनों को नुकसान पहुंचाता है।
स्वस्थ जीवन के लिए पर्याप्त नींद जरूरी है। याददाश्त के लिए पर्याप्त नींद बहुत जरूरी है। एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग कम सोते हैं उन्हें अक्सर याददाश्त की समस्या होती है। अच्छी याददाश्त के लिए 7-9 घंटे की नींद जरूरी है।एंटीऑक्सीडेंट के इस्तेमाल से दिमाग की कोशिकाएं सक्रिय रहती हैं। फलों के सेवन से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
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